9/11 हमला किसने करवाया? एक्सक्लूसिव खुलासा?

9/11 हमला किसने करवाया? एक्सक्लूसिव खुलासा?


प्रवीण जाखड़

'11 सितंबर 2
001 को अलकायदा से जुडे 19 आतंकवादियों ने चार विमानों (बोइंग 757 और 767) का अपहरण कर इनमें से तीन को सार्वजनिक इमारतों से भिड़ा दिया। न्यूयॉर्क स्थित वल्र्ड ट्रेड सेंटर के दो टावर और वॉशिंगटन के नजदीक स्थित पेंटागन को निशाना बनाया गया। वल्र्ड ट्रेड सेंटर के दो टावर नष्ट हो गए ओर पेंटागन क्षतिग्रस्त हो गया। चौथा विमान किसी इमारत को निशाना नहीं बना पाया और यह पेनिस्लेविया में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इनमें सवार सभी यात्री मारे गए। इस सामूहिक हमले में तीन हजार से ज्यादा लोग मारे गए।' (9/11 हमले के बाद अमरीकी सरकार द्वारा जारी आधिकारिक बयान)


हादसे के पहले की अहम घटनाएं
24 जुलाई 2001 : लैरी सिल्वरस्टीन ने पूरे वल्र्ड ट्रेड सेंटर को 3.2 बिलियन डॉलर में 99 साल की लीज पर लिया। यानी 11 सितम्बर के छह हफ्ते पहले। इस लीज में 3.5 बिलयन डॉलर की बीमा पॉलिसी भी शामिल थी, जो खास तौर पर आतंकवादी हमलों को भी कवर करती थी।6 सितम्बर 2001 : यूनाइटेड एयरलाइंस के स्टॉक पर 3150 पुट ऑप्शन रखे गए। पुट ऑप्शन तब रखा जाता है, जब स्टॉक के दाम गिरने की आशंका हो। रोजाना के मुकाबले उस रोज चार गुना पुट ऑप्शन रखे गए। इसी दिन बम सूंघने वाले कुत्तों को वल्र्ड ट्रेड सेंटर से हटा लिया गया और सुरक्षा गाड्र्स की दो हफ्ते से चल रही बारह घंटे की शिफ्ट को भी खत्म कर दिया गया।
7 सितम्बर 2001 : बोइंग के स्टॉक पर 27,294 पुट ऑप्शन रखे गए, जो आम दिनों से 5 गुना ज्यादा थे।10 सितंबर 2001 : अमरीकन एयरलाइंस के स्टॉक पर 4,516 पुट ऑप्शन रखे गए, जो आम दिनों की तुलना में 11 गुना अधिक थे। न्यूजवीक की रिपोर्ट के मुताबिक पेंटागन के कई बड़े ओहदेदारों ने अगली सुबह का अपना हवाई सफर रद्द किया। सैन फ्रांसिस्को के मेयर विली ब्राउन को फोन के जरिए अगली सुबह जहाज में सफर न करने की हिदायत दी गई। यह फोन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार कोंडोलिजा राइस का था।


ट्विन टावर्स : इतना स्टील पिघल गया?
ट्विन टावर्स का इतिहास कुरेदा, तो पता चला कि सन् 1970 में 1368 फीट ऊंचे नॉर्थ टावर और 1973 में 1362 फीट ऊंचे साउथ टावर को बनाने में दो लाख टन स्टील और 4।25 लाख घन यार्ड सीमेंट का इस्तेमाल किया गया था। 9/11 हादसे के बाद अमरीकी सरकार की ओर से जारी बयान में यह कहा गया था कि 'विमान टक्कर के बाद लगी आग से टावर्स में लगा स्टील का मजबूत ढांचा गल गया और टावर जमींदोज हो गए।'
न्यू मैक्सिको इंस्टीट्यूट ऑफ माइनिंग एंड टेक्नोलॉजी के वाइस प्रेसिडेंट वैन रोमेरो ने टावर्स गिरने के बाद अपना बयान जारी किया। इसमें उन्होंने कहा, 'टावर के अंदर पहले से रखे बमों के फटने से टावर नीचे आया। यह मुमकिन ही नहीं कि विमान के टकराने और इसमें लगी आग से टावर नीचे आए।' लेकिन आश्चर्यजनक रूप से दस दिन बाद उन्होंने अपना यह बयान बदल दिया और कहा 'टावर आग लगने की वजह से नीचे गिरे थे।' इस बीच वल्र्ड ट्रेड सेंटर के कंस्ट्रक्शन मैनेजर हाइमर ब्राउन ने इसी दौरान एक बयान जारी किया। उनके मुताबिक, 'टावर्स की मजबूती ऐसी थी कि वह हर तरह के हादसे को बर्दाश्त कर सके। जैसे की तूफान, बम धमाके, विमान का टकराना भी, लेकिन 2000 डिग्री फारेनहाइट पर जल रहे ईंधन ने बिल्डिंग में लगे स्टील को कमजोर कर दिया।' जबकि वल्र्ड ट्रेड सेंटर में इस्तेमाल किए गए स्टील की जांच करने वाली कंपनी अंडरराइटर्स लेबोरेट्रीज के केविन रायन ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्टैंडर्ड एंड टेक्नोलॉजी के फ्रेंक केल को एक पत्र में लिखा, 'हम सभी जानते हैं कि वल्र्ड ट्रेड सेंटर में 'एएसटीएम ई119 प्रमाणित' स्टील का इस्तेमाल हुआ था। इस किस्म के स्टील को टेस्ट करते वक्त उसे कई घंटों तक 2000 डिग्री फारेनहाइट पर गर्म किया जाता है। इसके अलावा चालू किस्म का स्टील भी 3000 डिग्री फारेनहाइट पर जाकर ही पिघलता है, तो हाइमर ब्राउन ने यह नतीजा कैसे निकाल लिया कि इमारत में इस्तेमाल होने वाला बेहतरीन स्टील दो हजार डिग्री फारेनहाइट पर पिघल गया। यह बात बिलकुल बेबुनियाद है।' इस पत्र को लिखने के कुछ ही दिनों बाद केविन रायन को उनके पद से हटा दिया गया।

टावर के अंदर हुए विस्फोट
अमरीकी सरकार पर उंगली उठाने वालों का दावा है कि ट्विन टावर्स के अंदर साजिश के तहत पहले से भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री रखी गई थी और उस विस्फोटक सामग्री से ही ये टावर्स ध्वस्त हुए। यह नामुमकिन है कि विमान टकराने से ये टावर्स इतने ध्वस्त हो जाएं। जैसा कि दूसरा विमान सुबह नौ बजकर तीन मिनट पर साउथ टावर की 78 वीं मंजिल और साउथ ईस्ट कोने से टकराया। आधे से ज्यादा ईंधन आग के गोले की शक्ल में फटा। यह टावर नॉर्थ टावर से पहले नीचे आया जबकि नॉर्थ टावर से विमान सीधे जाकर टकराया और वह इसके 18 मिनट पहले से जल रहा था। न्यूटन के गति नियम के मुताबिक किसी भी चीज के सीधे नीचे गिरने का हिसाब लगाया जाए, तो इस टावर को गिरने में 9।2 सैकंड का समय लगना चाहिए और इस साउथ टावर को गिरने में इतना ही वक्त लगा। मतलब साफ है जिन प्रत्यक्षदर्शियों ने टावर की 10-15 मंजिलों के बीच 6 धमाके देखे थे, वे सही थे। यानी इमारत गिराने के लिए उसके भीतर से विस्फोट किए गए थे और आंतरिक विस्फोटों से ही यह टावर धराशायी हुआ। साउथ टावर के नजदीक चर्च स्ट्रीट पर इस हादसे के एक चश्मदीद गवाह ने इमारत की 10वीं और 15वीं मंजिल के बीच चिंगारी निकलते देखी थी और टावर गिरने के पहले अंदर 6 बार रोशनी देखी गई।


आखिर क्या है पेंटागन का सच! : 9/11 अमरीकी
अमरीकी सरकार के आधिकारिक बयान को नकारने वाले और इसे अमरीकी सरकार का षडय़ंत्र बताने वालों ने पेंटागन हमले की भी कई खामियां पेश की हैं। सुबह 9 बजकर 38 मिनट पर आलिंग्टन वर्जिनिया, 530 मील प्रति घंटे की रफ्तार से विमान 330 डिग्री का टर्न लेता है। ढाई मिनट में सात हजार फीट नीचे उतरते हुए अमरीकन एयरलाइंस की फ्लाइट 77 पेंटागन से जा टकराती है। हादसे के बाद घटनास्थल पर फ्लाइट 77 का कोई नामोनिशान नहीं और न ही कोई सबूत। विमान के क्षतिग्रस्त हिस्से और उसके इंजन के कोई बड़े हिस्से वहां नहीं मिले, जो यह साबित करते हों कि फ्लाइट 77 पेंटागन से टकराई थी। इस हादसे के बाद अमरीकन सरकार का बयान था कि जलते हुए जेट के इंधन की गर्मी से पूरा जहाज जलकर खाक हो गया। सवाल खड़ा होता है जब आग में इतनी गर्मी थी कि जंबो जेट को ही निगल गई, तो फौज की डीएनए टेस्ट करने वाली लैबोरेट्री ने उसी विमान में सवार 189 में से 184 लोगों की पुष्टि कैसे की?

तकनीकी रूप से देखें, तो एक बोइंग 757 के दो इंजन होते हैं, जो स्टील और टाइटेनियम एलॉय से बनाए जाते हैं, जिसकी गोलाई नौ फीट, लंबाई 12 फीट और वजन 6 टन होता है। टाइटेनियम 1688 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर जाकर पिघलता है। जेट इंधन हाइड्रोकार्बन है, जो 40 मिनट जलने के बाद 1120 डिग्री तक पहुंचता है, वह भी तब जबकि उसे लगातार ईंधन मिलता रहे। ईंधन को धमाके के बाद तुरंत जल जाना चाहिए था। विज्ञान के हिसाब से यह नामुमकिन है कि बारह टन का स्टील और टाइटेनियम जेट रिन्धन से जलकर राख हो जाए? यानी दोनों इंजन पेंटागन में मिलने चाहिए थे। लेकिन उसकी जगह तीन फीट की गोलाई वाला सिर्फ एक टर्बोजेट इंजन का टुकड़ा पेंटागन में मिला। जो टुकड़े मिले उनसे कहीं भी पुष्टि नहीं हुई कि वे टुकड़े उसी जहाज के थे, जिसकी पुष्टि सरकार ने की थी।

शोधकर्ताओं के मुताबिक नौ फीट स्टील और कंक्रीट की मजबूत दीवार को पार करते हुए, 16 फीट सुराख सिर्फ एक क्रूज मिसाइल ही कर सकती है। पेंटागन के करीब शेरेटन होटल और वर्जिनिया के ट्रांस्पोर्ट डिपार्टमेंट के कैमरों में यह सब कैद हुआ था, लेकिन एफबीआई ने कुछ ही देर में इनकी वीडियो को अपने कब्जे में ले लिया। 11 सितंबर के ठीक चार दिन पहले सैटेलाइट से ली गई तस्वीरों में पेंटागन के नजदीक जमीन पर ठीक उसी जगह एक सफेद निशान दिखाई दिया, जहां यह विमान टकराया।

(आप खुद इस विषय पर पढ़ सकें, ज्यादा जान सकें इस लिए विषय संबंधी सभी तरह के सोर्स के लिए गूगल सर्च इंजन में लिखें What Actually Happened on 9/11?, इन्हीं सोर्स और सीड़ी को आधार बनाकर इस शृंखला को जारी किया गया है)

वास्तव में हुआ क्या था? : 9/11 अमरीकी हमला

यह सवाल आज भी करोड़ो लोगों को कोंध रहा है कि आखिर उस दिन की वास्तविक घटना क्या है? 9/11 की इस घटना के एक महीने बाद अक्टूबर में एक वेबसाइट पर दो लेख प्रकाशित हुए जिनमें पहली बार अमरीकी सरकार के आधिकारिक बयान को नकारा गया। इस वेब पर पहला लेख केरोल वेलेंटाइन का 'ऑपरेशन 9/11 नो सुसाइड पायलट्स' था। इस लेख ने लोगों का ध्यान इस संभावना की ओर खींचा कि संभवतया ट्विन टावर्स और पेंटागन से टकराने वाले यात्री विमान नहीं खुद अमरीका द्वारा रिमोट कंट्रोल से संचालित बिना यात्री-पायलट विमान थे। दरअसल यह ज्यादा अविश्वसनीय लगता है कि चार जेट विमानों को लगभग एक ही समय में अगवा कर लिया जाए और वो भी विदेशी 19 अरब आतंकवादियों के द्वारा!

दूसरा आलेख जॉय वियला का था। उन्होंने अपने आलेख 'होमरन: इलेक्ट्रोनिकली हाइजेकिंग द वल्र्ड ट्रेड सेंटर अटैक एयर क्राफ्ट' में रिमोट कंट्रोल के जरिए बोइंग एयर क्राफ्ट की उड़ान का जिक्र किया। फिर फरवरी 2002 में एक फ्रेंच वेबसाइट सुर्खियों में आई जिसमें दावा किया गया कि पेंटागन से टकराने वाला यात्री विमान था ही नहीं। इनके फोटो देखने से साफ स्पष्ट होता है कि पेंटागन से टकराने वाला बोइंग 757 नहीं था। मार्च 2004 में लियोनार्ड स्पेंसर का 'द अटैक ऑन द पेंटागन' शीर्षक से एक आलेख प्रकाशित हुआ, जिसमें प्रत्यक्षदर्शियों, एयर ट्रेफिक कंट्रोल रिपोर्ट और फोटोग्राफ के जरिए इसका खुलासा किया।

आधिकारिक बयान को नकारने और इसे अमरीकी षडय़ंत्र बताने वालों का कहना है कि उस दिन की वास्तविक घटना क्या है यह तो वही जानते हैं, जिन्होंने इसको अंजाम दिया, लेकिन जिस तरह के सबूत सामने आए हैं, वे एक अलग ही घटना बयान करते हैं। यह घटना उस घटना से अलग है, जो अमरीकी प्रशासन ने दुनिया को दिखाई। इस दूसरी तस्वीर के आधार हैं वे पुख्ता प्रमाण जो फोटोग्राफ इत्यादि के रूप में मौजूद हैं।
मार्च 2002 में केरोल वेलेंटाइन ने इस घटना के बारे में लिखा, 'यह साजिश अरब आतंकवादियों द्वारा नहीं बल्कि खुद अमरीका द्वारा रची गई। इस षडय़ंत्र में अमरीकी खुफिया एजेंसी सीआईए, अमरीका के उच्च वायु सैन्य और प्रशासनिक अधिकारी शामिल थे। संभवतया इसमें इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद की भी मदद ली गई थी। अमरीका इस साजिश का आरोप अरब आतंकवादियों पर लगाकर मध्य-पूर्व और एशिया के अमरीकी दुश्मन देशों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई शुरू करना चाहता है। इस सब कार्रवाई के पीछे अमरीका का असली मकसद तेल और खनिज संसाधनों पर अपना नियंत्रण बनाना है। यह साजिश सिर्फ एक दिन में नहीं रची गई, बल्कि इसकी तैयारी में बरसों लगे हैं।'

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा, लेकिन 9/11 की घटना का ताल्लुक अमरीकी सेना के कुछ महत्त्वपूर्ण अभियानों से रहा है। घटना के पहले 40 सालों की चंद अमरीकन सैन्य गधिविधियों को खंगालने पर पूरी तस्वीर साफ हो गई। इन गतिविधियों के सबूत के तौर पर अमरीकी सरकार के 'अति गोपनीय दस्तावेज (टॉप सीक्रेट डॉक्यूमेंट) मुझे मिले, जिनसे इन घटनाओं का खुलासा हो रहा था।

13 मार्च, 1962
अमरीकी फौज के कमांडर लैमिन लेमिंट्जर ने अमरीकी सैन्य सचिव रॉबर्ट मैक नमारा को 'ऑपरेशन नॉर्थवुड' पेश किया। इसके मुताबिक कॉन्टोनामो खाड़ी के अंदर व बाहर दहशतगर्दाना हमले करवाकर क्यूबा को जिम्मेदार ठहराना व क्यूबा पर फौजी चढ़ाई की जानी थी। क्यूबा के खिलाफ जासूसी रेडियो के इस्तेमाल की अफ्वाह फैलाना। क्यूबन दोस्तों के द्वारा बेस पर हमले का ड्रामा करवाना। मुख्य दरवाजे पर हंगामा शुरू करवाना। बेस पर मौजूद हवाई और पानी के जहाजों को साबूदाज करना। बेस पर बमबारी करना। बेस के बाहर पानी का नकली जहाज डुबोना। बेस में गोला बारूद फोडऩा ताकि आग लग जाए। नकली जनाजे दफन करने का ड्रामा करना। मयामी, फ्लोरिडा और वॉशिंग्टन डीसी में आतंक फैलाना और आखिर में अपने ही बिना पायलट के हवाई जहाज को क्यूबा की सरहद में मार गिराना। 'ऑपरेशन नॉर्थवुड' प्लान के मुताबिक इस जहाज के मुसाफिर एफबीआई एजेंट होंगे, लेकिन कहा जाएगा कि वह विद्यार्थी हैं। एग्लिन एयरपोर्ट बेस पर सीआईएस के एक हवाई जहाज को मुसाफिरों के जहाज का रंग लगाकर नकली सिविलियन जहाज बनाना। उस नकली जहाज को असली से बदलकर उस पर मुसाफिर सवार करना। असली जहाज को बिना पायलट का जहाज बना देना। ये दोनों जहाज फ्लोरिडा के दक्षिण में जाएंगे। नकली जहाज एग्लिन एयरफोर्स बेस पर यात्रियों को उतार कर अपने असली मिशन पर लौट जाएगा। असली जहाज बिना पायलट के क्यूबा की ओर रवाना हो जाएगा। क्यूबा के समुद्री इलाके में दाखिल होने के बाद सिग्नल मिलते ही उसे रिमोट कंट्रोल के जरिए उड़ा दिया जाएगा। इस प्लान को रॉबर्ट मैक नमारा खारिज कर देते हैं और कुछ महीनों के बाद जॉन एफ कैनेड़ी लेमिंट्जर को फौज के कमांडर के पद से हटा देते हैं। (स्रोत : टॉप सीक्रेट डॉक्यूमेंट)
(इस डाक्यूमेंट की इमेज कॉपी जोर्ज वाशिंगटन युनिवर्सिटी की बेव्साईट पर उपलब्ध है:
http://www.gwu.edu/~nsarchiv/news/20010430/ )

ऑपरेशन नॉर्थवुड से जुड़ा 13 मार्च, 1962 को जारी अमरीका के सैन्य सचिव को जारी अति गोपनीय दस्तावेज इंटरनेट पर भी मौजूद है। इस लिंक पर क्लिक करके आप भी 12 पृष्ठ के इस अति गोपनीय दस्तावेज को खंगाल सकते हैं। इसके लिए कृपया यहां क्लिक करे-
ऑपरेशन नॉर्थवुड


घपलों की फाइलें दफन : 9/11 अमरीकी हमला

सुबह 9 बजकर 59 मिनट पर वल्र्ड ट्रेड सेंटर का साउथ टावर लगभग दस सैकंड में जमींदोज हो गया। इसके ठीक 29 मिनट बाद नॉर्थ टावर भी 10 सैकंड में ढेर हो गया। इसी शाम 5 बजकर 20 मिनट पर वल्र्ड ट्रेड सेंटर का 47 मंजिला टावर-7 अचानक गिर गया। यह ट्विन टावर्स से 300 गज की दूरी पर था। इसमें सेंट्रल इंटेलीजेंस एजेंसी (सीआईए), डिफेंस डिपार्टमेंट, इंटरनल रेवेन्यू सर्विस (आईआरएस) और सीक्रेट सर्विस के अहम दफ्तर और मेयर रूबी जुलियानी का इमरजेंसी बंकर था। इसी टावर में वॉल स्ट्रीट में हुए घपलों की तीन-चार हजार फाइलें मौजूद थीं। अमरीकन सरकार द्वारा जारी बयान के मुताबिक ट्विन टावर्स से गिरने वाले मलबे की वजह से टावर-7 में कई डीजल की टंकियों में आग लग गई। यानी छह सैकंड में ढेर होने वाले इस तीसरे टावर के गिरने की वजह आग थी। वैज्ञानिक आधार पर देखा जाए तो इन तीनों टावर के गिरने की गति समान थी।

...और पासपोर्ट सलामत?
ट्विन टावर्स और पेंटागन पर हमले की जांच कमीशन की रिपोर्ट के मुताबिक अमरीकन एयरलाइंस और यूनाइटेड 175 के दोनों कॉकपिट और डेटा रिकॉर्डर नहीं मिले। लेकिन एफबीआई का दावा था कि उन्हें अपहरणकर्ताओं में से एक स्टाम अल सुकामी का पासपोर्ट मैनहटन की सड़क पर पड़ा मिला, जो धमाके के साथ ही उनकी जेब से निकल कर सड़क पर गिर गया था। यह गौर करने वाली बात है कि विमान का मजबूत और नष्ट न होने वाला ब्लैक बॉक्स तो धमाके में नष्ट हो गया, लेकिन कागज से बना पासपोर्ट फिर भी सही सलामत रहा!

यह भी कटु सच्चाई है कि अप्रेल 2002 में एफबीआई ने स्वीकार किया कि उनके पास कोई सबूत नहीं है, जिससे यह साबित हो सके कि उन अपहरणकर्ताओं ने ही इस घटना को अंजाम दिया था। 19 अप्रेल, 2002 को सेन फ्रांसिस्को के कॉमल वेल्थ क्लब मे एफबीआई के निदेशक रॉबर्ट म्यूलेट ने स्वीकार किया कि हम अपनी पड़ताल में अपहरण संबंधी कागज का एक टुकड़ा भी हासिल नहीं कर पाए।
इन सवालों का संबंध 9/11 हमले से है! : 9/11 अमरीकी हमला : कड़ी - 5

अमरीकी हादसे को हुए आठ साल होने को हैं, लेकिन उस दर्दनाक हादसे में 3000 जानें गई। उनका दर्द आज भी कई सवालों को तलाश रहा है।

* एफबीआई, सीआईए और दूसरी अमरीकी इंटीलीजेंस एजेंसियों को सालाना 30 बिलियन डॉलर से ज्यादा की धनराशि खर्च के लिए दी जाती है। इतना मोटा खर्च होने के बावजूद इन एजेंसियों को इस षडय़ंत्र की जानकारी क्यों नहीं थी? इतनी बड़ी नाकामी के बावजूद आखिर इन एजेंसियों को क्यों दुबारा इतना ही धन खर्च के लिए दिया गया?

* फ्लाइट 77 का अपहरण सुबह 9 बजे किया गया था। इसी समय वल्र्ड ट्रेड सेंटर पर हमला हो चुका था। क्या फ्लाइट कंट्रोलर्स इस बात से वाकिफ थे और उन्हें इसके परिणाम पता थे? यह विमान 40 मिनट तक हवा में रहा, इस दौरान वायु सेना ने इस विमान को क्यों नहीं रोका? जबकि सात स्थानों पर अमरीकी वायु सेना के लड़ाकू विमान हर समय सुरक्षा के लिहाज से तैयार रहते हैं और 10 मिनट के नोटिस पर वह उड़ान भर लेते हैं?
* एफएफए, एफबीआई, सीआईए और एनएसए ने क्यों विमान से मिलने वाले सिग्नल्स और संचार संबंधी कोई जानकारी जारी नहीं की?
* अपहरणकर्ता, पायलट और एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स के बीच हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग अब तक जारी नहीं की गई? वह कहां है?

* एक आग बुझाने वाले चशमदीद गवाह ने नॉर्थ टावर से टकराने वाले विमान के पंखों के कोई इंजन लगा हुआ नहीं देखा। क्या वह बोइंग 757 नहीं था? क्या इस विमान के टकराने से पहले मिसाइल भी टावर से टकराई थी?

* जब नॉर्थ टावर पर कोई पब्लिक टीवी कैमरा नहीं लगाया गया था, तो फ्लोरिडा के एक क्लासरूम में जाने से पहले जॉर्ज बुश ने किस स्रोत से हमला होते देखा? जानकारी के बावजूद उन्होंने कुछ किया क्यों नहीं, जबकि इसके आधा घंटे बाद दूसरे टावर पर भी हमला हो गया? क्या बुश को इन हमलों के बारे में पहले से सब कुछ पता था?

* चारों विमानों में मरने वाले यात्रियों की सूची में 19 अरबी अपहरणकर्ताओं के नाम क्यों नहीं थे? जबकि एफबीआई ने कैसे पहले से ही सूची तैयार कर रखी थी और कैसे यह बात कही कि सभी 19 लोग अरबी थे

* वल्र्ड ट्रेड सेंटर के मलबे का फॉरेंसिक परीक्षण क्यों नहीं करवाया गया? क्यों लगभग पूरा मलबा देश से बाहर भेज दिया गया?


क्या एफबीआई की सूची झूठी थी? : 9/11 अमरीकी


आप भरोसा करेंगे और खंगालेंगे, तो सतब्ध रह जाएंगे।

...लेकिन यह सच है। 11 सितंबर को हमला होने के ठीक 3 दिन बाद (14 सितंबर, 2001 को) अमरीका की जानी-मानी खूफिया जांच एजेंसी एफबीआई ने 19 अरब आतंकियों की सूची जारी की। हादसे के ठीक 12 दिन बाद विश्व की प्रतिष्ठित समाचार एजेंसी बीबीसी की पड़ताल के बाद जारी खबर ने एफबीआई की ओर से जारी आतंकवादियों की सूची पर सवालिया निशान लगा दिया।
बीबीसी की खबर के मुताबिक वल्र्ड ट्रेड सेंटर से टकराने वाले विमान 11 में जिन पांच आतंकवादियों के होने की पुष्टि एफबीआई ने की थी, उन्हीं पांच में से वलिद एम. अलशिहरी एक थे। अलशिहरी ने इस घटना के एक साल पहले सितंबर, 2000 में अमरीका छोड़ा था, क्योंकि सऊदी अरब एयरलाइंस में उन्हें पायलट बनने का अवसर मिल गया था और घटना घटित हुई उस वक्त वे मोरक्को में ट्रेनिंग कोर्स कर रहे थे। गौर करने वाली बात यह है कि अगर वे आतंकवादी थे और हादसे में उनकी मौत हो चुकी थी, तो अचानक जिंदा कैसे हो गए?
ठीक इसी तरह विमान 11 के एक और संदिग्ध (एफबीआई के मुताबिक) अब्दुल अजीज अल ओमारी के जिंदा होने की भी बीबीसी ने पुष्टि कर दी। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक वे सऊदी टेलीकॉम के इंजीनियर के रूप में हादसे के बाद भी अपनी नौकरी करते पाए गए। वह जिंदा कैसे हो गए?
विमान 93 की सूची में एफबीआई की ओर से जारी अंतिम नाम सईद का था। लंदन के एक अरबी अखबार ने उसी सईद का इंटरव्यू प्रकाशित कर उनके जिंदा होने पर मुहर लगा दी थी। जिसका खुलासा बीबीसी ने किया। एफबीआई की ओर से विमान 77 के घोषित आतंकवादी खालिद अल मिदहर के जिंदा होने की पुष्टि भी बीबीसी ने इसी दिन कर दी थी।
इस पूरे मामले की जांच के लिए एफबीआई के 4000 एजेंट नियुक्त थे। वह भी 3000 स्पोर्ट स्टाफ के साथ और जांच में जुटे 400 अन्य लोग प्रयोगशाला से ताल्लुक रखने वाले थे। बावजूद इसके एफबीआई जैसी प्रतिष्ठित खूफिया जांच एजेंसी ने यह 19 लोगों की सूचि किस बिनाह पर जारी की? 'क्या एफबीआई की सूची झूठी थी?'
प्रतिष्ठित न्यूज सर्विस बीबीसी की जिस खबर का हवाला मैंने दिया है, उसे पढऩे के लिए कृपया यहां क्लिक करें -
बीबीसी डॉट कॉमसवाल बरकरार है। ऐसे ही ढेरों सवाल अभी बाकी। मुद्दा आप तक पहुंच चुका है। इसे खंगालें, जांचे, टटोले और मेरी निजी राय है तथ्यों और सबूतों पर ही भरोसा करें।

http://praveenjakhar.blogspot.com/2009/06/911.html

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3 comments :

honesty project democracy said...

अलकायदा या कोई और आतंकी संगठन हजार बार पैदा होगा तब भी ऐसा हमला नहीं कर सकता था जबतक अमेरिकी खुपिया एजेंसी के गद्दार और सत्ता में बैठे हैवानी ताकत का इस हमले में इस्तेमाल न हुआ होता | लेकिन सत्य की जाँच करेगा कौन? और परवाह किसे है इस पैसे के दुनिया में सत्य की | उम्दा विवेचना जिसपर हर किसी को विचार जरूर करना चाहिए |

Shah Nawaz said...

एक बेहतरीन विश्लेषण, और पुरे तथ्यों के साथ बहुत ही गंभीर प्रस्तुति. वैसे अमेरिकन प्रशासन की मंशा को तो सभी जानते हैं, खासतौर पर जोर्ज बुश की.

राजेन्द्र अवस्थी said...

इतनी तफसील से ये खबर पहली बार सामने आई... आम लोग तो यही समझते हैं कि 9/11 की घटना आतंकी वारदात थी, लेकिन इस खबर को पढ़ने के बाद अमेरिका की नीयत पर वाकई सवाल खड़े होते हैं... क्यो कि इसका दूरगामी लाभ अमेरिका को हुआ है..खाड़ी के तेल पर उसका वर्चस्व कायम है...

इस्लामी सियासत

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इस्लामी एक मब्दा (ideology) है जिस से एक निज़ाम फूटता है. सियासत इस्लाम का नागुज़ीर हिस्सा है.

मदनी रियासत और सीरते पाक

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अल्लाह के रसूल (صلى الله عليه وسلم) की मदीने की जानिब हिजरत का मक़सद पहली इस्लामी रियासत का क़याम था जिसके तहत इस्लाम का जामे और हमागीर निफाज़ मुमकिन हो सका.

इस्लामी जीवन व्यवस्था की कामयाबी का इतिहास

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इस्लाम एक मुकम्म जीवन व्यवस्था है जो ज़िंदगी के सम्पूर्ण क्षेत्र को अपने अंदर समाये हुए है. इस्लामी रियासत का 1350 साल का इतिहास इस बात का साक्षी है. इस्लामी रियासत की गैर-मौजूदगी मे भी मुसलमान अपना सब कुछ क़ुर्बान करके भी इस्लामी तहज़ीब के मामले मे समझौता नही करना चाहते. यह इस्लामी जीवन व्यवस्था की कामयाबी की खुली हुई निशानी है.