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मज़ामीन डाउनलोड करें: खिलाफत ख़िलाफत क्या है? खिलाफत की फर्ज़ियत अगर कल खिलाफत क़ायम हो जाये मफाहीम रसूलों की ज़रुरत - मज़मून इस्लाम में अखलाक़ इस्...
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दुनिया की तीन विचारधाराऐ: भाग - 2 - समाजवाद

इशतिराकि मब्दा (Communist Ideology ) जहाँ तक इश्तिराक़ियत का तआल्लुक़ है, जिस से कम्यूनिज्म भी पैदा हुआ, तो उसका नज़रिया यह है कि कायनात, इंसान...
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दुनिया की तीन विचारधाराऐ: भाग - 1 - पून्जीवाद

दुनिया के तीन मबादी (आयडियोलोजीज़) इस वक्त जब हम पूरी दु निया पर नज़र डालते हैं तो हमें सिर्फ तीन मबादी (ideologies) नज़र आते है। सरमायादारियत...
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मसलिहती रब्त और रूहानी रब्त

इस्लाम की फिकरी क़ियादत: भाग - 2 मसलिहती रब्त और रूहानी रब्त (Bond of Interest and Spiritual Bond) इसी तरह के फासिद रवाबित में एक मसलिहत का र...
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इस्लाम की फिकरी क़ियादत

इस्लाम की फिकरी क़ियादत (The Intellectual Leadership of Islam) जब इंसान फिकरी पस्ती में मुब्तिला हो जाता है तो उस में वतनपरस्ती (nationalism-...
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ख़िलाफत का संविधान: भाग - 16: फोरेन पॉलिसी

खारिजा सियासत (Foreign Policy) दफा नम्बर 180: सियासत उम्मत के अन्दरूनी और बेरूनी मुआमलात की निगरानी को कहते हैं। सियासत उम्म त और रियासत दो...
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ख़िलाफत का संविधान: भाग - 15: ताअलीमी पालिसी

ताअलीमी पालिसी (Education System) दफा नम्बर 169: ताअलीम पालिसी का इस्लामी अक़ीदे की बुनियाद पर इस्तेवार होना फर्ज़ है। चुनान्चे तमाम तदरीसी म ...
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ख़िलाफत का संविधान: भाग - 13: मुआशरती निज़ाम

मुआशरती निज़ाम (Social System) दफा नं. 112: बुनियादी तौर पर औरत माँ है और घर की जिम्मेदार है। वह एक ऐसी आबरू (अस्मत) है, जिसकी हिफाजत फर्ज़ ह...
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ख़िलाफत का संविधान: भाग - 12: मजलिसे उम्मत

मजलिसे उम्मत (Ummah Council) दफा नं। 105: वह अफराद जो राय के लिहाज़ से मुसलमानों की नुमाइन्दगी करते हैं और जिन की तरफ ख़लीफा रुजु करता है उन्...
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इस्लामी निज़ाम

इस्लाम ही वोह दीन है जो अल्लाह तआला ने सय्यदना मुहम्मद صلى الله علي ه وسلم पर इसलिये नाज़िल फरमाया कि इसके ज़रिये उन तआल्लुक़ात को मुनज्ज़म क...
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इस्लामी सियासत

इस्लामी सियासत
इस्लामी एक मब्दा (ideology) है जिस से एक निज़ाम फूटता है. सियासत इस्लाम का नागुज़ीर हिस्सा है.

मदनी रियासत और सीरते पाक

मदनी रियासत और सीरते पाक
अल्लाह के रसूल (صلى الله عليه وسلم) की मदीने की जानिब हिजरत का मक़सद पहली इस्लामी रियासत का क़याम था जिसके तहत इस्लाम का जामे और हमागीर निफाज़ मुमकिन हो सका.

इस्लामी जीवन व्यवस्था की कामयाबी का इतिहास

इस्लामी जीवन व्यवस्था की कामयाबी का इतिहास
इस्लाम एक मुकम्म जीवन व्यवस्था है जो ज़िंदगी के सम्पूर्ण क्षेत्र को अपने अंदर समाये हुए है. इस्लामी रियासत का 1350 साल का इतिहास इस बात का साक्षी है. इस्लामी रियासत की गैर-मौजूदगी मे भी मुसलमान अपना सब कुछ क़ुर्बान करके भी इस्लामी तहज़ीब के मामले मे समझौता नही करना चाहते. यह इस्लामी जीवन व्यवस्था की कामयाबी की खुली हुई निशानी है.